Saturday 3 December 2011

मानवता के विरुद्ध २० घोर अपराध


http://rajeevdubey.jagranjunction.com/2011/10/25/20worstnsc/



न्यू साइंटिस्ट की वेबसाइट पर एक सारगर्भित लेख है. संभवतः पाठकों का ह्रदय विषयवस्तु देख कर उद्वेलित हो उठे .
http://www.newscientist.com/embedded/20worst
इस वेबसाइट को और फिर हमारे देश में पढाये जा रहे इतिहास को देखकर आप पायेंगे कि किस तरह से हमारे देश में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर हमारी त्रासद मध्यकालीन परिस्थितियों को सामान्य दर्शाने की कोशिश की जा रही है.
सत्य को नकार कर नयी नींव नहीं रखी जा सकती और न ही शान्ति स्थापित की जा सकती है. सत्य को स्वीकार कर ही नया युग आ सकता है.
सुल्तानों और मुगलों के क्रूर शासन काल के अलावा बीच-बीच में अन्य आक्रान्ताओं के बर्बर हमले भी हुए. इन्हीं में से एक तैमूर लंग ने अपने हिन्दू विरोधी अभियान में दिल्ली में ई. १३९८ में दिसंबर के महीने में एक ही दिन में यूं ही १००,००० हिन्दू मार डाले, युद्धों में तथा अन्य स्थानों पर जो मारे सो अलग. इसके अलावा तैमूर ने उन मुसलमानों को भी मारा जो उसके अनुसार हिन्दुओं के प्रति जितने होने चाहिए उससे थोड़ा कम क्रूर थे.
इसी तैमूर के वंशजों ने मुग़ल साम्राज्य बनाया . आज विकृत इतिहास के द्वारा इन्हीं सबको भारत के बढ़िया जन प्रिय शासकों के रूप में पुस्तकों में परोसा जा रहा है. अब ज़रा तैमूर की पीढियां देखिये …
तैमूर -> मिरान शाह -> अब्दुल सईद मिर्ज़ा -> उमर शेख मिर्ज़ा -> बाबर (और फिर आगे के नाम तो पता ही हैं).
इन बर्बर शासकों के नाम पर सड़कें बनाई जा रही हैं, और भी न जाने क्या क्या आगे होगा.
क्या इस्लाम को मानने वाले हिन्दुओं से भाईचारा तभी बनाएंगे जब हिन्दूओं पर अत्याचार करने वालों का महिमा मंडन किया जाए?
ऐसा नहीं लगता.
किन्तु जोड़ तोड़ और फूट डालने की राजनीति करने वाले कुछ और सोचते हैं.


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